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26 May 2020 · 1 min read

मुकरी छंद

कह मुकरी

हीरे मोती तन बिखराए
बालों में जाकर लिपटाए
जा कपोल पर मारे ठुमका
ए सखि साजन ?ना सखि झुमका!

कारी-कारी बदरी छाई
देख पिया के मन को भाई
देख कालिमा दिल है घायल
ए सखि बादल ?ना सखि काजल!

रूप सलौना खूब सजाते
श्याम भ्रमर मन को अति भाते
स्वप्न दिखाकर जागे रैना
ए सखि साजन?ना सखि नैना!

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 529 Views
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Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
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