मुकम्मल इंकलाब
आदमखोरों के ख़िलाफ़
उठने लगी आवाज़ है!
ज़ुल्मत के हर निज़ाम की
हिलने लगी बुनियाद है!!
यह महज़ एहतिजाज़ नहीं,
एक मुकम्मल इंकलाब है!
अब शेरों और नज़्मों में
ढ़लने लगी फ़रियाद है!!
आदमखोरों के ख़िलाफ़
उठने लगी आवाज़ है!
ज़ुल्मत के हर निज़ाम की
हिलने लगी बुनियाद है!!
यह महज़ एहतिजाज़ नहीं,
एक मुकम्मल इंकलाब है!
अब शेरों और नज़्मों में
ढ़लने लगी फ़रियाद है!!