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31 Jan 2022 · 1 min read

मुकम्मल इंकलाब

आदमखोरों के ख़िलाफ़
उठने लगी आवाज़ है!
ज़ुल्मत के हर निज़ाम की
हिलने लगी बुनियाद है!!
यह महज़ एहतिजाज़ नहीं,
एक मुकम्मल इंकलाब है!
अब शेरों और नज़्मों में
ढ़लने लगी फ़रियाद है!!

Language: Hindi
1 Like · 136 Views
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