Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Feb 2017 · 1 min read

!!! ~मुकद्दर~ !!!

मुक्कदर को अपने
सम्भाल कर कहाँ
ले जाओगे
जब लिखी हों
ठोकरें जमाने
की, तो दर दर
पर ठोकरें ही
तो खाओगे
जिस के दर
की आस को लेकर
पहुंच जाओगे
उस के कुछ
कहने से पहले
ही उसका तुम
दर छोड़ जाओगे
आहट ही बता
देगी तुम्हें और
कुछ सम्झ न पाओगे
किस्मत की लकीर
का सबब रह रह
के लेते जाओगे
आशा की किरण
गर चमक के
दिखाई दे भी गयी
वहीं बादलोन सी
उल्झन में खुद
ही सिमट जाओगे
चाहे लाख कर्म
कर के आगे आने
को उत्सुकता
मिल जायेगी
पर बेवजह की
उल्झन में तुम
उलझ के रह जाओगे…

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
312 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all
You may also like:
जन्म से मरन तक का सफर
जन्म से मरन तक का सफर
Vandna Thakur
संस्कृति
संस्कृति
Abhijeet
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
औरत की हँसी
औरत की हँसी
Dr MusafiR BaithA
चंद घड़ी उसके साथ गुजारी है
चंद घड़ी उसके साथ गुजारी है
Anand.sharma
* सामने बात आकर *
* सामने बात आकर *
surenderpal vaidya
बसहा चलल आब संसद भवन
बसहा चलल आब संसद भवन
मनोज कर्ण
मंजिलें
मंजिलें
Mukesh Kumar Sonkar
मात पिता को तुम भूलोगे
मात पिता को तुम भूलोगे
DrLakshman Jha Parimal
कुसुमित जग की डार...
कुसुमित जग की डार...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मोहब्बत जताई गई, इश्क फरमाया गया
मोहब्बत जताई गई, इश्क फरमाया गया
Kumar lalit
जो भूलने बैठी तो, यादें और गहराने लगी।
जो भूलने बैठी तो, यादें और गहराने लगी।
Manisha Manjari
माना अपनी पहुंच नहीं है
माना अपनी पहुंच नहीं है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
■ ताज़ा शेर ■
■ ताज़ा शेर ■
*Author प्रणय प्रभात*
पूस की रात
पूस की रात
Atul "Krishn"
हाय.
हाय.
Vishal babu (vishu)
🍃🌾🌾
🍃🌾🌾
Manoj Kushwaha PS
जीवन में समय होता हैं
जीवन में समय होता हैं
Neeraj Agarwal
ऊँचाई .....
ऊँचाई .....
sushil sarna
ऐसा तूफान उत्पन्न हुआ कि लो मैं फँस गई,
ऐसा तूफान उत्पन्न हुआ कि लो मैं फँस गई,
Sukoon
मंदिर नहीं, अस्पताल चाहिए
मंदिर नहीं, अस्पताल चाहिए
Shekhar Chandra Mitra
आज बेरोजगारों की पहली सफ़ में बैठे हैं
आज बेरोजगारों की पहली सफ़ में बैठे हैं
दुष्यन्त 'बाबा'
आप तो गुलाब है,कभी बबूल न बनिए
आप तो गुलाब है,कभी बबूल न बनिए
Ram Krishan Rastogi
कुछ मन की कोई बात लिख दूँ...!
कुछ मन की कोई बात लिख दूँ...!
Aarti sirsat
मंत्र: पिडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
मंत्र: पिडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
Harminder Kaur
जब अपने ही कदम उलझने लगे अपने पैरो में
जब अपने ही कदम उलझने लगे अपने पैरो में
'अशांत' शेखर
"छलनी"
Dr. Kishan tandon kranti
*मस्तियों का आ गया मौसम, हवा में प्यार है  (हिंदी गजल/गीतिका
*मस्तियों का आ गया मौसम, हवा में प्यार है (हिंदी गजल/गीतिका
Ravi Prakash
गाडगे पुण्यतिथि
गाडगे पुण्यतिथि
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
प्रतिश्रुति
प्रतिश्रुति
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...