मुँहनोचवा (हास्य कविता)
#मुँहनोचवा
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एक रोज सुबह अख़बार उठाकर,
देखी एक ज़ोरदार ख़बर,
ये कैसा हल्ला मच गया भइया,
मुँहनोचवा उठा ले गया था गइया,
ये कैसी अजीब आफ़त है हाय,
अब शैतान पियेगा दूध की चाय,
वैसे ही कोरोना के खौफ से,
डरी मरी सी है जनता सारी,
डोल गयी है अर्थ व्यवस्था,
खाने की भी है किल्लत भारी,
हो सकता है भुखमरी में,
ले गया गौमाता को,
पीकर दूध को वो अपनी,
ताक़त बुद्धि बढ़ाता हो,
लेकर पुलिस सेना को सारी,
पहरा रात बिठाया गया,
पकड़ा मुँहनोचवा एक दिन,
राज़ फिर निकलवाया गया,
बोला भैया ये मास्क हम,
नई डिज़ाइन का लाया हूँ,
दिनभर कहीं निकल ना पाया,
रात सैर पर आया हूँ,
नही चुराए हम गइया कोई,
भाग गई होगी वो खुद से,
माफ करो अब जाने दो,
और सब खड़े देख रहे थे बुत से।
©ऋषि सिंह “गूंज”