मीठी-मीठी बातें
मीठी-मीठी बातें बहुधा
होती कड़वी खलक में
तुंग से दिखता किंचित
अभ्यंतर होता कतिपय
अगरचे आपसे कोई नर
बिन रज:स्राव चौमासा के
मानिंद करता मिष्ट बातें तो
बोधना उसके प्रयोजन को |
अक्सर नर, मनुज को
इस अनूठे से भुवन में
पड़ती जब गरज आपसे
मीठी-मीठी बातें कर वह
मांगत फिरता है सहायता
जिसने कभी न दी आश्रय
आपका प्रत्युत किया अवज्ञा
मीठे बातें का समझना सबब ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार