मीठी तकरार
मीठी तकरार
तितली से तकरार हो गई
मधुमक्खी से होड़।
फुलचुग्गी पर धौंस जमाई
भौंरे ने पुरजोर।।
पंख हिलाकर तितली बोली
मोटे खूसट चोर!
षट्पद शिलीमुख कालिये
कर्कश करते शोर!!
तू रंगों की भरी पिटारी
पिचकारी की पोर।
पंख पसारे फिरे फालतू
नकटी नखराखोर।।
लड़ते लड़ते हुई दुपहरी
मिला न कोई छोर।
फूलबाग के सभी जानवर
चकित खड़े सब ओर।।
मधुमक्खी हे मधु की रानी
बनो प्रीत का जोड़!
हाथ जोड़ कर विनती करते
दो झगड़े को मोड़।।
चतुर हनी बी कुछ मुसकाई
बनी माध्यिका दौड़।
चुप हो जाओ मतलब पुतलों
सुनो! बहस दो छोड़!!
बाग हमारा फूल हमारे
हमीं यहां के बोस।
पर उपकार हमारा नारा
कैसा भाई रोस!!
महक उठा वन उपवन सारा
खिले खुशी के फूल।
लगे चहकने मुदित पखेरू
मौज लड़ाई भूल।।
विमला महरिया “मौज”