मीठा जहर
तुमसे लगा के दिल हमको पडा है पिछताना
मीठा जहर है ये कोई ना यूॅ इसमे आना
शुरआती दौर मे नजरो से नजर मिलाना
लग रहा है जो ये अच्छा कुछ वक्त का फसाना
गुलाब सी पंखुरी का सहज से रिझाना
है ये अदा कलियों की बहुत कातिलाना
ये दिल कांच का ना होकर भी टूट जाना
मुश्किल हो गया है दिल को करार आना
जिदंगी सफर ये अनजानेपन मे ही सही था
संग चलने लगे दुनिया के तो जग को जाना
Mohan Bamniya