Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Aug 2020 · 1 min read

मिज़ाज़

ख़्वाब से भी कह दिया थोड़ा मिज़ाज ठंडा कर??
आग लगा जाती है दिलों में❤️❤️❤️
जब उनकी याद आती हैं।??

Language: Hindi
5 Likes · 389 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कौन किसके बिन अधूरा है
कौन किसके बिन अधूरा है
Ram Krishan Rastogi
बदलती फितरत
बदलती फितरत
Sûrëkhâ
सृष्टि का कण - कण शिवमय है।
सृष्टि का कण - कण शिवमय है।
Rj Anand Prajapati
मत रो मां
मत रो मां
Shekhar Chandra Mitra
■ और एक दिन ■
■ और एक दिन ■
*Author प्रणय प्रभात*
आलता-महावर
आलता-महावर
Pakhi Jain
ईच्छा का त्याग -  राजू गजभिये
ईच्छा का त्याग - राजू गजभिये
Raju Gajbhiye
Don't lose a guy that asks for nothing but loyalty, honesty,
Don't lose a guy that asks for nothing but loyalty, honesty,
पूर्वार्थ
3170.*पूर्णिका*
3170.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नेमत, इबादत, मोहब्बत बेशुमार दे चुके हैं
नेमत, इबादत, मोहब्बत बेशुमार दे चुके हैं
हरवंश हृदय
नारी के हर रूप को
नारी के हर रूप को
Dr fauzia Naseem shad
भारत का अतीत
भारत का अतीत
Anup kanheri
नव वर्ष
नव वर्ष
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
खामोशियां आवाज़ करती हैं
खामोशियां आवाज़ करती हैं
Surinder blackpen
चंचल - मन पाता कहाँ , परमब्रह्म का बोध (कुंडलिया)
चंचल - मन पाता कहाँ , परमब्रह्म का बोध (कुंडलिया)
Ravi Prakash
तूफ़ानों से लड़करके, दो पंक्षी जग में रहते हैं।
तूफ़ानों से लड़करके, दो पंक्षी जग में रहते हैं।
डॉ. अनिल 'अज्ञात'
"शिक्षा"
Dr. Kishan tandon kranti
शराब मुझको पिलाकर तुम,बहकाना चाहते हो
शराब मुझको पिलाकर तुम,बहकाना चाहते हो
gurudeenverma198
रोज हमको सताना गलत बात है
रोज हमको सताना गलत बात है
कृष्णकांत गुर्जर
सब समझें पर्व का मर्म
सब समझें पर्व का मर्म
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
दोहे. . . . जीवन
दोहे. . . . जीवन
sushil sarna
चलो मैं आज अपने बारे में कुछ बताता हूं...
चलो मैं आज अपने बारे में कुछ बताता हूं...
Shubham Pandey (S P)
जमाने को खुद पे
जमाने को खुद पे
A🇨🇭maanush
मेरा स्वर्ग
मेरा स्वर्ग
Dr.Priya Soni Khare
समल चित् -समान है/प्रीतिरूपी मालिकी/ हिंद प्रीति-गान बन
समल चित् -समान है/प्रीतिरूपी मालिकी/ हिंद प्रीति-गान बन
Pt. Brajesh Kumar Nayak
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
शेखर सिंह
जिसे सुनके सभी झूमें लबों से गुनगुनाएँ भी
जिसे सुनके सभी झूमें लबों से गुनगुनाएँ भी
आर.एस. 'प्रीतम'
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
संवेदना जगी तो .. . ....
संवेदना जगी तो .. . ....
Dr.Pratibha Prakash
कुछ
कुछ
Shweta Soni
Loading...