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21 May 2017 · 1 min read

मिसरा-जिंदगी खुशनुमा रंग भरने लगी।

गज़ल

मिसरा-जिंदगी खुशनुमा रंग भरने लगी।

हर इक सूरत में तेरी सूरत नज़र आने लगी
सच है कि जिंदगी खुशनुमा रंग भरने लगी।

जीते जी जो कभी मिट ना पाए चेहरे से,
तेरे होठों पे ऐसी मैं मुस्कुराहट खिलने लगी।

ए सनम सूरत ही बदल गयी है मेरी तुझको पाकर
तेरे आने से ज़िन्दगी खिलखिला कर हंसने लगी।

हां जो घबराई -सहमी हुई सी थी धड़कनें मेरी
बाद मुद्दत के तुझको​ पाकर कुछ थमने लगी।

कुछ ऐसा सुकूँ देता हैे मुझे ये तेरा साथ होना ,
कि सारी जन्नतें आकर इसी जहाँ में बसने लगीं।

कुछ इस तरह,मेरी इस रूह का हिस्सा है तू
कि पल भर की दूरी बरसों की कमी लगने लगी।

तेरी ही मुस्कुराहटें बनी हैं जीने का सबब
कुछ ऐसी प्यारी-खूबसूरत तू लगने लगी।

बहुत खूबसूरत है महबूब तू और तेरी सीरत
कि चांदनी भी आजकल तुमसे चिढ़ने लगी।

नीलम शर्मा

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