मिले मेरी वफा तुमको
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रहूँ तीरे नजर से यार देखूँ मैं सदा तुमको,
फिदा कर दूँ खुशी सारी मिले मेरी वफा तुमको।
बनूँगा हार बाँहों का गले तेरे लिपट कर मैं,
समा तेरी निगाहों में सदा जाऊँ बता तुमको।
कहूँ कैसे बताओ हाल ए दिल बेकरारी का,
मिले ना चैन पल भर भी सुनो मेरा गिला तुमको।
रखूँ मैं हार कर मेरा प्यार तेरे यार कदमों में,
नहीं जीना जरा भी है वहाँ मेरे बिना तुमको।
सिमट जाऊँ यार बाँहों में सदा सुनसान राहों में,
लगे कुछ भी भनक मेरी सदा मेरा पता तुमको।
बता दूँ सार मनसीरत यहाँ क्या रीत होती है,
सजा देती सदा ही प्रीत मुझको दे मजा तुमको।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)