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10 Feb 2017 · 1 min read

मिलन

साहित्यपीडिया पर मेरे मिलन का एहसास, मेरी पहली रचना जो १९६५ के आस पास लिखी गई थी

‘मिलन’ का मिलन
मुबारक हो तुझे
मैं जो मिलूँ तो एक
‘मिलन’ मिले तुझे

मिलन ही मिलन है
मुक़द्दर में तेरे
हर मोड पर ही
‘मिलन’ का मिलन मिले तुझे !

ज़मीं है ‘मिलन’
आसमान है ‘मिलन’
प्रेम की चरम
सीमा है मिलन

मिलन ही मिलन है
हर दिल में बसा
रब की परम
लीला है मिलन !!

‘मिलन’ की निगाहें
मिलन मांगतीं हैं
‘मिलन’ से मिलन की
दुआ मांगतीं हैं

मिलन ही मिलन है
जब ‘मिलन’ से मिलन हो
जुदाई भी ‘मिलन’ से
मिलन मांगती है !!!

Language: Hindi
512 Views
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