मिलते नहीं ख्यालात मेरे
क्या क्या न हुआ जिंदगी में संग देखो घात मेरे।
घुट रहा है दम हमारा देखकर आघात मेरे।।
आशाएं दम तोड़ती है देख कर प्रतिकार को,
कब भला समझा जहां, रंजोगम जज्बात मेरे।
झेलता है जहां अतिवृष्टि,अनावृष्टि की मार को,
वो सुनामी का कहर या प्रलय के लम्हात मेरे।
हो गये अपने,पराये हमसे नहीं है कुछ वास्ता,
अब सहेंगे ना सितम मिलते नहीं ख्यालात मेरे।
भोर के रौशन उजाले कब आयेगे मेरे आंगना,
हर पहर घेरे उदासी औ तन्हाइयों की रात मेरे।
जीतने या हारने का अब ग़म नहीं मुझको कोई,
चाल शैतानों की कोई ,छू न पाए खुराफात मेंरे।
प्यार की बसने से पहले उजड़ गई सारी बस्तियां,
प्यार या बांटों मोहब्बत, याद रखें कायनात मेरे।।