मिलता न किसी को भी है किस्मत से ज़ियादा
मिलता न किसी को भी है किस्मत से ज़ियादा
इच्छा न करो आप ज़रूरत से ज़ियादा
वो शिकवे-गिले सबसे ही करते हैं बराबर
होता न भला कुछ भी शिकायत से ज़ियादा
समझा ही नहीं इश्क़ में इस बात को अब तक
होती है शरारत भी नज़ाकत से ज़ियादा
इन्सां से रवायत है रवायत से न इन्सां
होती है बड़ी जान रवायत से ज़ियादा
ये याद रखो वो ही तो नुकसान करे है
मिलता है यहाँ जो भी शराफ़त से ज़ियादा
जनता का भला सोच के चलती न सियासत
उम्मीद नहीं रखना हुकूमत से ज़ियादा
जीता है सदा सच ही भले देर लगी हो
अच्छी न कोई बात सदाक़त से ज़ियादा
भाते ही नहीं मुझको कभी झूट के लश्कर
करता हूँ सदा प्यार हक़ीक़त से ज़ियादा
बैठा है वही सबसे अलग आज भी थककर
‘आनन्द’ करे काम भी हिम्मत से ज़ियादा
डॉ आनन्द किशोर