मिथिला मैथिली आंदोलनक मिथक प्रयास आ समाधान?
यथार्थ कहब त भक द लागत. मिथिला मैथिलीक आंदोलन जे भ रहल ओ की समाज हित मे वा पेटपोसुआक हित मे? प्रशन रेखांकित करू यथार्थ देखू ताकू त जवाब स्पष्ट रूपे भेटि जाएत. मिथिला मैथिली आंदोलनक कएटा मिथक छै जे बुझहै परत आ स्पष्ट रूपे चिंता करैए पड़तै. कहै लै जे मिथिला मैथिली सबहक त फेर दूए टा जाति आ ओकर चटिया सब टा किए मैथिली सुख भोग कए रहल? की मिथिला समाजक बारहो बरण तक मैथिली के कहियो पहुँचअ देल गेल? साहित्य अकादेमी मैथिली भोजपुरी अकादमी, मैथिली अकादमी सबठाम दू जातिक वर्चस्व आ कब्जा से किएक?
मिथिला मैथिलीक मिथक:-
1. मिथिला मैथिली स जुड़ल आंदोलन बेर बदलाव अनै बेर मैथिली विभागक लोक किए कुंभकरणी नीन में बमफलाट भेल सूतल रहैए.? किए ने आगू अबैए? तनखा उठाएब छोड़ि मैथिली हित मे तेसर कोन काज केलक मैथिली विभागक लोक?
2. मैथिली साहित्य मिथिला समाज तक नहि पहुंचल किए? साहित्यकारक गिरोह तक घूरिया के रहि गेलै आखिर किएक? कोई सवाल जबाज नै केलकै हिसाब नै मंगलकै किएक?
3. लोक के भ्रमित कएल गेलै जे मिथिला अहूँ के छी आ पेटपोसुआ सब टा मैथिली स लाभ उठा समाज मे वर्गभेद करैत रैह गेल? ओकरा खिहारबा काल लोक किए ने अगुआएल?
4. मिथिला मैथिली आंदोलनक जड़ि मे सब जाति के सब इलाका के लोक सब किए ने अछि. लोक के भ्रम मे किए राखल गेलै जे सबहक मिथिला आ सबहक सहभागिता बेर मानकी आ जातिवादी चाबूक.
5. मिथिला मैथिलीक यथार्थ के झंपबाक प्रयास हरदम होइत रहल तेकर बिरोध मे लोक किए नै आएल. गिरोहवादी चटिया बना धूर्तै होइत रहल तेकरा रोकनाहर मे के सब आगू आएल? कियो ने?
6. मैथिली भाषा के अकादमी पुरूस्कार विभागीय नोकरी चंदा/ समारोह तक ओझरा देल गेल? यथार्थ देखितौ लोक बिरोध मे किए ने आगू अबैए? केकरा कोन माने मतलब?
7. मैथिली के अष्टम सूची मे जोड़ाएब सेहो एकटा पेटपोसुआ रणनीति रहै आ तेकर लाभ पेटपोसुआ सब के वाजपेयी जीक अशीर्वादे रूपे प्रसाद भेट रहल
8. मैथिली आंदोलनक नाम पर कतेको संस्था बनल होहकारी सेहो भ रहलै आ मिथिला राजक आ मैथिली भाषा के नाम पर फेर स लोक के ठकबाक नीक स्वांग रचल जा रहल?
9. मिथिला मैथिली दैनिक अखबार चैनल तक नहिं आ गुमाने चूर जे करोड़ो मैथिली भाषी? साहित्यक पत्रिका छापि सोझहे दोकनादारी टा होइत रहलै आ पद कब्जिऔने राखल गेलै.
10. जंतर मंतर पर जा चारि टा चेला चटिया संगे अनशन पर बैसि नेतागिरी वला फोटो देखा मिथिला राजक सपना? आ पटनाक गांधी मैदान मे आंदोलन बेर डरे लघ्घी भऽ जाएब.
मैथिली आंदोलनक प्रयास:-
1. मिथिला मैथिलीक आंदोलनक प्रयास मे दू तरहक लोक लागल यै. एकटा एहेन जेकरा लगै छै मिथिला मैथिली मे बदलाव हेतै आ समाजक लोक जागरूक हेतै?
2. दोसर कतेक एहनो अछि जेकर एकमात्र धियेए जे मिथिला मैथिली हो हो क फेर स आधिपत्य बनौने रही. आ देखावटी केने संपूर्ण मिथिला के गप कहि लोक के ठकैत रही.
3. मैथिली स लाभ लेनिहार सब कहियो मैथिली आंदोलन मे आगू नै आएल? ओकरा तनखा उठलै अप्पन पेट भरलै धैन सति लै मिथिला मैथिली?
4. दरभंगा मधुबनी छोड़ि आन जिलाके लोक वा आन जिला मे मैथिली आंदोलन किए ने भ रहलै. मिथिला राजक नक्शा बेर सबटा मिथिले आ पुरूस्कार बेर सहभागिता बेर दूए चारि टा जिला किए? आन जिलाक लोक किए ने आंदोलन करैए?
5. आंदोलन स पहिने समावेशी मैथिली लेल किए ने कहियो डेग आगू बढ़ल? समावेशी मैथिली के बेगरता किए नै बुझाएल आ आंदोलनक नाम पर हो हो टा होइत रहल?
6. मिथिला मैथिली मे निष्पक्षता अबै सब लेल एक समान अवसर बनै तै लै किए ने आंदोलन भेल? मैथिली मानक मे बदलाव लेल किए ने अनशन आ बिरोध प्रदर्शन भेल?
7. मिथिला मैथिली मे धूर्तै के पराकाष्टा रहलै तइयो लोक बिरोध सवाल जवाब बेर चोरनुकबा किए बनल रहल? आभासीओ पटल पर आगां नै अबैए त परोछ रूपे सोझहा किए आउत?
समाधन:-
1. मैथिली मानक मे बदलाव आनि संशोधित केने बारहो बरण के शैली के लिखबा बजबा काल मैथिली रूपे मोजर दिअ परत. मिथिला समाज के आमजन तक मैथिली साहित्य के पहुँचाबै पड़त.
2. मिथिला मैथिली मंच के समावेशी बना बारहो बरण स योगय लोक के ताकि हेर के बेरा बेरी मौका दियै पड़त? मैथिली के निष्पक्ष वेबस्था बनाबै पड़त. सब जिला आ सब जातिक लोक के सहभागी बनाबै लै निष्पक्ष डेग आगू बढ़बै पड़त.
3. चोरनुकबा बनने काज नै चलत. यथार्थ देखा तका मिथिला मैथिलीक धूर्त ठकहर पेटपोसुआ सबके खिहारै पड़त. कवि सम्मेलन लोकार्पण पुरूस्कारी धूर्तै सब अविलंब बंद करै पड़त.
4. मिथिला मैथिली के यथास्थिति आ टेक्नीकल मेकानीज्म के आम लोक जन तक स्पष्ट रूपे देखार चिन्हार करै पड़त. पब्लिक यथार्थ देखि बुझि अपने आंगोलनरत हेतै?
5. मैथिली दैनिक अखबार चैनल पत्र पत्रिका के स्थापित करबा मे सामूहिक सहयोग करै पड़त? मिथिला मैथिली नाम पर लाभ लेनिहार सब पर प्रशन चेह्न लगा सवाल जवाब करै पड़त.
6. अकादमी पुरूस्कार मिथिला रत्न चंदाखोरी वरिष्ट साहित्यकार, आंदोलनी सब वला सबटा नटकबाजी बन्न करै पड़त. एहि स नीक जे मैथिली साहित्य के समाज स जोड़ू आ विकसित मिथिला लेल सामूहिक प्रयास भागिदारी करै जाउ.
आलेख- डाॅ. किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)