*मित्र ( कुंडलिया )*
मित्र ( कुंडलिया )
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रखिए मित्र सँभाल के ,ज्यों प्रभु का वरदान
किस्मत से मिलते सदा ,अच्छे मित्र महान
अच्छे मित्र महान , पिता माता गुरु जानो
शुभचिंतक अनमोल ,बुरा इनका मत मानो
कहते रवि कविराय ,खरी जो कहे परखिए
धडकन तन की जान ,सँभाले इनको रखिए
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451