मित्र की मित्रता..
तुम्हें शब्दों में परिभाषित करना
आसान नहीं है मित्र!
प्रेरणा मिली तुमसे
अनुभव हुए गहरे
श्रृंगारिकता का एक पक्ष
हिस्से में दर्ज हुआ मेरे!
कुछ गहरे कुछ उथले
संवेगों की धारा प्रस्फुटित हुई!
साये की तरह चलना हुआ
तुम्हारा मेरे साथ हर सफर में मित्र!
याद करने जब बैठूँ ईश्वर को
तुम्हारा चेहरा नजर आता उस
ईश्वर में उस पल भी मित्र!
स्नेह से भरी प्रीत की डोर से बँधी
ह्रदय की गहराइयों से जुड़ी
सदियों तक याद किये जाने वाली
मित्र ऐसी मित्रता तुमसे मिली!
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शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)