मित्रों का संग
लाए है हम तोहफा, कर लीजिए कबूल ।
अंतर्मन के शब्द हैं, कविता के ये फूल ।।
जब होता मित्रों का संग,
खुशियों के खिलते रंग,
हर दिन उत्सव बन जाता,
मन उमंगें भर गुनगुनाता,
दुःख की पीड़ा जाते भूल,
क्योंकि मित्रता है महकता फूल,
जब – जब मिलते हैं हम यार,
मुलाकातें बन जाती यादगार,
अंतर्मन प्रसन्नता से भर जाता,
क्योंकि याराना हैं एक अटूट नाता,
लोभ मोह मद माया से ऊपर,
मित्रता का रिश्ता सबसे ऊपर,
दिल खोलकर जिससे बातें होती,
वह मित्र ही हैं अनमोल मोती,
जो यादें मित्रों से जुड़ी रहती,
खुशियाँ बन जीवनभर महकती,
मित्रों के बिना कैसा जीना,
जैसे मीन से जल को छीना,
है! ईश्वर मेरे मित्रों का रखना ध्यान,
वो ही मेरे जीवन की मुस्कान,
——-जेपी लववंशी