मित्रता ( मित्रता दिवस पर विशेष )
मित्रता वो सागर है जिसमें सभी इंसानी ,
जज्बात की नदियां समा जाती है ।
प्रेम ,स्नेह ,ममता ,दया ,करुणा ,सहनशीलता,
सौहाद्र की तरंगे उठती है ।
वासना ,कपट , स्वार्थपरता ,अहंकार ,ईर्ष्या द्वेष
आदि से कोसों दूर रहती है ।
सभी इंसानी रिश्तों की छटा जिसमें दिखती है ।
माता पिता जैसा प्यार ,दुलार ,पालन और देखभाल ,
और भाई बहन जैसी स्नेह सहित मीठी नोकझोंक दिखती है ।
गुरु जैसा मार्गदर्शक और हितेषी भी उसके जैसा कोई नहीं।
एक दूजे के प्रति सम्मान की भावना भी होती है ।
दोस्ती हो तो कृष्ण और सुदामा जैसी ,
जो मित्र के स्वाभिमान का मान रखते हुए ,
उसका उद्धार करती है ।
मित्रता हो कृष्ण और अर्जुन जैसी भी ,
जो कर्तव्य पथ से पलायन करने वाले मित्र को ,
अपने कर्तव्य की याद दिलाती है।
मित्रता वो जो मित्र को संकट में देखकर ,
निस्वार्थ भाव से सहायता के लिए तत्पर रहती है ।
ऐसी मित्रता आदर्श और उच्चकोटि की मित्रता कहलाती है ।
ऐसी महान मित्रता अब इस आधुनिक युग में ,
बहुत कम दिखती है ।