मिट गई गर फितरत मेरी, जीवन को तरस जाओगे।
मत मिटाओ फितरत मेरी, बर्ना बदहाल हो जाओगे।
मिट गई गर फितरत मेरी, जीवन को तरस जाओगे।।
नियम कायदे कानून मेरी फितरत है
दिन रात हर लम्हा नियत है
तोड़ना कायदे कानून तेरी फितरत है
क्यों छोड़ दी इंसानियत है
उजाड़ रहे हो कुदरत की नियामतें
भूल गए हो सारी हिदायतें
भूल गए हो सामाजिक रवायतें
कर रहे हो ज्ञान की बातें
मैं कुदरत हूं फितरत है मेरी देने की
हर एक जानदार का जीवन संवार देने की
खबरदार अब हद हो गई है
मेरी बहुत बेअदबी हो रही है
नहीं उगलो अब ज़हर
कहीं टूट न पड़े मेरा कहर
जहनियत सुधार ले
नियामतें संवार ले
फितरतें दिमागी, दिल से निकाल दे
छेड़-छाड़ कुदरत से, ज़हन से निकाल दे
जी ले जीवन प्यार से, नियामतें संभाल ले
जीवन ज़मीं पर चाहिए, तो खुद को जरा सुधार ले
छेड़-छाड़ कुदरत से, ज़हन से निकाल दे