मिट्टी राख़ बस काया है
क्या खोया क्या पाया है।
मिट्टी राख़ बस काया है।।
तेरा हो या मेरा जीवन ।
अंतर क्या कर पाया है ।।
डोर है कच्ची सांसों की ।
शेष क्या कुछ रह पाया है ।
खाली हाथ यहाँ से जाना ।
साथ क्या कुछ जा पाया है ।।
जीवन-मरण के चक्रव्यूह से ।
कौन बता यहाँ बच पाया है ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद