“मिट्टी के आदमी “
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गुरुर क्यों करे ये मिट्टी के आदमी
मिट्टी में मिल गये मिट्टी के आदमी
लगा दी उम्र सारी जोड़ने में दौलत
खाली हाथ ही गये दुनिया से आदमी
अंजाम देखने पर भी मानते नहीं
खाके ठोकर ही सुधरते है आदमी
मिलाते है हाथ सबसे बड़े जोश से
दिल नहीं मिलाते किसी से आदमी
कद बड़ा है लेकिन देते साया नहीं राणा
दरख्ते खजूर से है ये बड़े से आदमी
©ठाकुर प्रतापसिंह “राणाजी”
सनावद (मध्यप्रदेश)