मा ममता का सागर
मां ममता का सागर
मां बेटे की उम्मीद है मा बेटे की जिद है।
मां की फटकार बेटे को सही गलत की पहचान करवाती है
मौका लालच बेटे को सब्जीवन को से पहचान करवाती है
मां बेटे की उम्मीद लगाकर उसकी खातिर जीतने की जिद है
मां ममता की वो अमित छाप है।
पुत्र की सारी गलती उसकी.नजर में माफ है।
खुश होती पुत्र की किलकारियों से है
मां पुत्र की जीत भरी तालियो से
मां बेटे की उम्मीद लगाकर उसकी ख्वाहिश पर जीतने की
जिंद है।
मां भाईयो के प्रेम का संगम है।
मां ममता के प्रेम की चिंगम है !
सपना नफरत भरी आंखो का टूट गया-
जब मां की ममता उस परिवार की संगम है।
बेटे मां की उम्मीद आश भरी नजरो से बतियाते है।
समानता मां की हर मन मे उम्मीद भरी निगाहो से कहती है। अमानत रख मां को अपने मन मे पुत्र ‘की ख्वाहिश को सहती है।
मां की ममता को भुल गये
मां की नम्रता को गलत साबित हो गई
पुत्र प्रेम में फिर भी बरकरार रखा मां ने अपनी की ममता को
आज बेटे भुल गये झोरु से लगाकर.
आश मां की ममता खुद से बतयाति है।
जिसने रखा हमें अपने दिल के कोने में
आज उसे हमने रखा अपने घर के कोने में
जिसने लुटायी हम पर अपनी ममता की छाव
उसे बोझ समझ हमने दिया नौकर के भाव
क्यो बेटे भूल गये झोरु से लगाकर आश
, मां की ममता खुद से बतयाती है।
सह लेती है वो अपनी ममता से
कह लेती है,वो हमारी गलति को
वो अपनी ममता से हमारी जल्दी निगाहों को
आशीष वचन वो ममता में रख
सुखी जीवन यापन का वरदान देती है।
अन्तिमम पल वो ममता में मुझको देख
अपने सारे दुख-दुख का बलिदान देती है।
बेटे का पश्चाताप जगा. मां के जाने के बाद
नफरत होने लगी खुद को खुद से मिटाने के बाद