मासूम बचपन खो रहा..
बच्चे न रहे पहले जैसे मासूम,
आ गई उनमें बड़ों सी कुटिलता।
अपशब्दों का प्रयोग करते ,
समय से पहले ही आ गई वयस्कता।
कारण हो सकता है सोशल मीडिया ,
या अति आधुनिक अभिभावकों की
अति आधुनिक विचारधारा।
मगर अपने मौलिक गुणों से,
बाल सुलभ मासूमियत से विपरित ,
जा रही उनकी जीवन धारा ।
बेशक आज की पीढ़ी के बच्चे ,
पहले के बच्चों से अधिक चतुर ।
अर्थात अपने माता पिता से भी ,
अधिक बुद्धिमान और चतुर ।
परंतु जिनका प्रयोग सही दिशा में ,
नहीं जा रहा।
तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर रहा ठीक,
मगर अपने संस्कारों से दूर जा रहा ।
मोबाइल लैपटॉप आदि से जुड़कर ,
डिजिटल वर्ड से जुड़ रहा ।
मगर वास्तव में अपनी संस्कृति ,
से दूर वोह हो रहा।
बस इसी तरह उनका मासूम बचपन खो रहा ।