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27 Aug 2023 · 1 min read

*मासूम पर दया*

तू निर्दयी नहीं तो
दयावान भी नहीं है
मैं जानता हूँ उसकी
कोई गलती नहीं है

वो तो मासूम है छोटा बच्चा है
ये उसके कर्मों का फल तो नहीं है
सुनकर उसकी चीख़ों को जो न पिघले
ऐसा निर्दयी तो यहाँ कोई नहीं है

घर में खेलने की उम्र है
लेकिन ये उसके नसीब में नहीं है
अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा है
मां के आँचल में रहना नसीब नहीं है

सुना है, है छेद उसके दिल में
उसने ख़ुद तो ये छेद किया नहीं है
जाने क्यों मिली है उसे ये सज़ा
ऊपर वाले ने ये भेद किसी को दिया नहीं है

जाने कब मुक्ति मिलेगी उसे इस मर्ज़ से
उसने तो अभी अपना बचपन जीया ही नहीं है
दर्द उसका देखकर हर कोई दुखी है
हे ईश्वर! क्यों तुम्हें ये खबर ही नहीं है

दिख रही है आस आज भी
जीने की उसकी आंखों में
है हकदार वो भी खुशी का
जो आजतक उसे मिली ही नहीं है

हर दो मेरे विधाता, ये पीड़ा उसकी
बक्श दो ज़िंदगी, जो उसकी किस्मत में लिखी ही नहीं है
खिलने दो इस फूल को भी दुनिया में
ऋतु बसंत जिसने कभी देखी ही नहीं है।

7 Likes · 1 Comment · 2313 Views
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