मार्शल आर्ट
कुनिका सेठ दीनदयाल की एकलौती बेटी होनहार सुंदर सबकी प्रिय और हँसमुख जब से उसने जन्म लिया सेठ दीन दयाल के घर मे बरक्कत होने लगी उनकी तरक्की में नए नए पड़ाव जुड़ते गए कुनिका का नाम सेठ दीनदयाल ने दिल्ली के सबसे महंगे कान्वेंट स्कूल में कराया था सेठ दीन दयाल के बचपन के मित्र अमर कांत बचपन से लेकर जीवन के हर मोड़ पर साथ थे प्राथमिक शिक्षा से लेकर व्यवसायिक भगीदारी तक दोनों की मित्रता बेल्लारी से ही मशहूर थी ।
दक्षिण भारत कि पृष्टभूमि से दोनों ही थे दोनों कि संस्कृति संस्कारो में कोई भिन्नता नही थी परिवेश गांव समाज एक ही था दोनों ने दिल्ली आकर पहले छोटा मोटा व्यवसाय करते थे लेकिन अब दोनों के पास बहुत बड़ा व्यवसाय था अपनी शो रूम ना जाने कितने ही उत्पादों कि एजेंसियां थी।
सेठ दीन दयाल के पास सिर्फ एक बेटी थी तो अमर कांत के पास सिर्फ एक बेटा था जो कुनिका का ही हम उम्र था अमर कांत ने भी बेटे कार्तिक का नाम कुनिका के साथ ही उसी कान्वेंट में लिखवाया था दोनों साथ साथ स्कूल जाते और साथ ही आते जिस प्रकार अमर कांत और दिन दयाल कि दोस्ती मिशाल थी उसी प्रकार कुनिका और कार्तिक की।
दिल्ली द्वारिका में अमर कांत और दीनदयाल कि दोस्ती एव समझ की मिशाल लोंगो में चर्चा का विषय थी दोनों में कभी किसी बात को लेकर मतभेद नही हुआ कभी कभी लोंगो को भ्रम होता कि दोनों ने कही एक ही कोख से जन्म तो नही लिया है।
कुनिका और कार्तिक ने भी अपने अपने पिता कि परम्परा मिशाल को ही आगे बढ़ा रहे थे दोनों साथ साथ एक क्लास एक स्कूल में पढ़ तो रहे ही थे दोनों के मार्क्स में भी अंतर नही रहता गज़ब का समन्वय एव सामजंस्य था कुनिका और कार्तिक में ।
सेठ दीन दयाल और अमर कांत भी बच्चों के बीच फलते फूलते भावनात्मक एकात्मकता के भावों को मजबूती देने में कोई अवसर नही छोड़ते कुनिका की माँम दिशा एव कार्तिक की माँम कल्पना भी पतियों की तरह एक दूसरे का साथ निभाती कुल मिलाजुलाकर यही कहा जा सकता था कि अमर कांत कल्पना एव दीनदयाल दिशा रिश्तो कि बुनियाद थे तो उस बुनियाद पर मजबूत भवनाओं और दृढ़ इच्छाशक्ति से उनकी अगली पीढ़ी बढ़ती जा रही थी जो वर्तमान समाज जहां बात बात पर झूठ घृणा स्वार्थ का छद्म द्वंद चल रहा हो उसमें ये दोनों परिवारों के संबंधों की निर्विकार निर्विवाद निर्मल धारा स्वछंद प्रवाहित हो एक नए समाज के निर्माण सोच कि सार्थकता का आवाहन कर रही थी जो किसी के लिए आदर्श हो सकता है।
अमरकांत कल्पना एव दिशा दीनदयाल ने भी बच्चों कि स्वछंद आकाश में विचरती भावनाओ के सत्यार्थ को स्वीकारते हुए एक दूसरे के विवाह हेतु आपसी समझ बना रखी थी जो उचित अवसर के तलाश में थी समय अपनी गति से चलता जा रहा था।
कुनिका और कार्तिक दोनों ने एक साथ आक्सफ़ोर्ट मे स्नातक कि शिक्षा के लिये एडमिशन लिया दोनों साथ साथ आक्स्पोर्ट पढ़ने गए दोनों अलग अलग होस्टल में रहते थे ।
कार्तिक एव कुनिका ने स्नातक प्रथम वर्ष कि परीक्षाएं देने बाद छुट्टियों में भारत आये दोनों के माता पिता दीनदयाल एव दिशा एव अमर कांत कल्पना अपनी औलादों की सफलता उपलब्धियों पर आल्लादित एव भविष्य के प्रति आस्था एव विश्वास से भरे हुये आशाओं के आकाश में नित नए गोते लगा रहे थे।
सर्द शाम का मौसम कुनिका और कार्तिक एक साथ दिल्ली कनाड प्लेस में घूमने निकले थे सर्दी में सूर्यास्त के साथ ही लगता है रात्रि बहुत बीत गयी सांय कालीन साढ़े सात ही बजे थे कुनिका एव कार्तिक दोनों एक साथ रेस्तरां से निकले कार्तिक ड्राइविंग सीट पर बैठा कुनिका के बैठने का इन्तज़ार ही कर रहा था कि पीछे से आती बड़ी बन्द कार से कुछ शरारती तत्वों ने कुनिका को उठा लिया और बहुत तेजी से कार लेकर फरार होगए ।
जल्दी जल्दी में कार्तिक ने अपनी कार स्टार्ट किया और उनके पीछे चल पड़ा करीब एक दो घण्टे कार को इधर उधर दौड़ाते कुनिका को लेकर कार दिल्ली से लगभग सौ किलोमोटर दूर हरियाणा के एक सुनसान जगह स्थिति पुरानी हवेली के पास रुकी कुनिका के मुँह पर पट्टी बांध रखी थी और उसे बेहोश कर रखा था कुनिका को लेकर उस सुनसान हवेली के ऊपरी तल पर गए और उसे रस्सी से जकड़ कर बाँध दिया कुनिका के अपहरण कर्ताओं को विश्वास था कि उनका पीछा कर रहा कार्तिक कही भटक गया होगा।
लेकिन उनका भ्रम तब टूट गया जब कार्तिक सीधे कुनिका के अपहरण कर्ताओं के बीच अकेला पहुंच गया जब कार्तिक ऊपर पहुंचा तब वहाँ अपहरण कर्ताओं को देख उसके होश उड़ गए अपहरण कर्ताओं में गुलशन ,सब्बीर ,कुलवंत एव विशन चारो ही उनके भारत दिल्ली के स्कूलों के सहपाठी ही थे चारो को देखकर कार्तिक ने कहा तुम चारो #चोर चोर मौसेरे भाई #ये तो बताओ कि तुम लोंगो ने कुनिका का अपहरण क्यो किया ?
क्या दुश्मनी है तुम लोंगो की ?गुलशन बोला मेरी दुश्मनी कुछ भी नही है हमे पैसा चाहिए यदि तुम चाहते हो की कुनिका जीवित रहे तो अपने माँ बाप को फोन करो नही तो कुनिका की लाश लेकर जाना कार्तिक मार्शल आर्ट की हर विद्या का चैंपियन था उसके रगों में जवाँ खून दौड़ रहा था उसने कहा #चोर चोर मौसेरे भाईयों # ध्यान से सुनो मैं तुम्हे जीवित नहीं छोड़ूंगा तब तुम लोग मेरे माँ बाप से फिरौती मांगना इतना कहते हुए वह बाज़ एव शेर की तरह अकेले चारो पर टूट पड़ा चारो पर भारी पड़ने लगा उसने चारो को मार मार अधमरा कर दिया और कुनिका के हाथ पैर खोल उसको लेकर चलने लगा तब तक गुलशन ने पीछे से उसपर रिवाल्वर से फायर कर दिया गोली उसके रीढ़ की हट्टी को वेधती निकल गयी गुलशन फायर पर फायर करता रहा मगर कुनिका और कार्तिक नीचे अपनी कार में पहुँच गए कार्तिक को बैठा कर कुनिका ने कार स्टार्ट किया और तेज रफ्तार से निकलती ह
हुई आगे बढ़ती गयी कुनिका सीधे कार गुड़गांव पुलिस स्टेशन में रोकी वहां ड्यूटी पर तैनात इंस्पेक्टर केशव सिंह के समक्ष सारी घटना का विवरण दर्ज कराया इधर बच्चों के न लौटने पर दीन दयाल दिशा एव अमरकांत कल्पना बहुत परेशान थे सुबह के चार बजे चुके थे तब तभी कुनिका का फोन डैडी दीन दयाल के मोबाइल पर आया दीन दयाल ने फोन उठाया पूछा बेटे आप लोग कहा है कुनिका ने बताया कि गुड़गांव पुलिश स्टेशन में फौरन ही दीनदयाल दिशा अमरकांत एव कल्पना गुड़गांव पुलिस स्टेशन पहुंचे वहां की स्थिति देख कर दंग रह गए कार्तिक के शरीर से बहुत खून निकल चुका था इंस्पेक्टर केशव ने बताया कि घबड़ाने कि कोई बात नही है बच्चे बहुत बहादुर है आप लोग कार्तिक को लेकर फौरन किसी अच्छे नर्सिंग होम जाकर चिकित्सा उपलब्ध कराए हम लोग अपहरण कर्ताओं को किसी सूरत में धर दबोचेंगे।
कल्पना अमरकांत दीन दयाल कार्तिक को लेकर हॉस्पिटल गए जहाँ डॉक्टर करण ने ऑपरेशन से सारी गोलियों को निकाला दो दिन के अंदर ही पुलिस ने गुलशन एव उसके तीनो साथियों को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया। तप्तीस के दौरान यह तथ्य स्प्ष्ट हुआ कि चारो अपहरण कर्ताओं का यह पहला ही अपराध सिर्फ स्कूल में अध्ययन के दौरान छोटी मोटी बातो की प्रतिक्रिया मात्र थी कार्तिक जल्दी ही स्वस्थ हो गया और #चोर चोर मौसेरे चारो# अपराधियों जो कभी सहपाठी थे कि अक्ल ठिकाने आ गयी।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखुर उत्तर प्रदेश।।