Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Feb 2024 · 1 min read

मारी थी कभी कुल्हाड़ी अपने ही पांव पर ,

मारी थी कभी कुल्हाड़ी अपने ही पांव पर ,
जिसका जख्म अब नासूर बन गया।
अश्क ही अश्क रह गए अब जिंदगी में,
खुशियों और सुकून का दौर काफूर हो गया ।

242 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
🙅ताज़ा सुझाव🙅
🙅ताज़ा सुझाव🙅
*प्रणय*
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
नई खिड़की
नई खिड़की
Saraswati Bajpai
International Day Against Drug Abuse
International Day Against Drug Abuse
Tushar Jagawat
कलश चांदनी सिर पर छाया
कलश चांदनी सिर पर छाया
Suryakant Dwivedi
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
नवल किशोर सिंह
कपट
कपट
Sanjay ' शून्य'
"प्यासा"-हुनर
Vijay kumar Pandey
अपने किरदार को किसी से कम आकना ठीक नहीं है .....
अपने किरदार को किसी से कम आकना ठीक नहीं है .....
कवि दीपक बवेजा
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
कवि रमेशराज
बदला है
बदला है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू...!!
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू...!!
पूर्वार्थ
3646.💐 *पूर्णिका* 💐
3646.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
💐💐💐दोहा निवेदन💐💐💐
💐💐💐दोहा निवेदन💐💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
धरा और हरियाली
धरा और हरियाली
Buddha Prakash
****जानकी****
****जानकी****
Kavita Chouhan
बिन बोले सब बयान हो जाता है
बिन बोले सब बयान हो जाता है
रुचि शर्मा
किसी के टुकड़े पर पलने से अच्छा है खुद की ठोकरें खाईं जाए।
किसी के टुकड़े पर पलने से अच्छा है खुद की ठोकरें खाईं जाए।
Rj Anand Prajapati
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*राम-राम कहकर ही पूछा, सदा परस्पर हाल (मुक्तक)*
*राम-राम कहकर ही पूछा, सदा परस्पर हाल (मुक्तक)*
Ravi Prakash
आलता-महावर
आलता-महावर
Pakhi Jain
कभी उलझन,
कभी उलझन,
हिमांशु Kulshrestha
माया का संसार है,
माया का संसार है,
sushil sarna
जंकफूड यदि करता है बीमार
जंकफूड यदि करता है बीमार
Sonam Puneet Dubey
कुछ फ़क़त आतिश-ए-रंज़िश में लगे रहते हैं
कुछ फ़क़त आतिश-ए-रंज़िश में लगे रहते हैं
Anis Shah
**** रक्षाबंधन का त्योहार आया ****
**** रक्षाबंधन का त्योहार आया ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कोलाहल
कोलाहल
Bodhisatva kastooriya
हमको भी सलीक़ा है लफ़्ज़ों को बरतने का
हमको भी सलीक़ा है लफ़्ज़ों को बरतने का
Nazir Nazar
"गुजारिश"
Dr. Kishan tandon kranti
हम मोहब्बत में सिफारिश हर बार नहीं करते,
हम मोहब्बत में सिफारिश हर बार नहीं करते,
Phool gufran
Loading...