*मारा नरकासुर गया, छाया जग-आह्लाद (कुंडलिया)*
मारा नरकासुर गया, छाया जग-आह्लाद (कुंडलिया)
मारा नरकासुर गया, छाया जग-आह्लाद
कुल सहस्त्र सोलह हुईं, कन्याऍं आजाद
कन्याऍं आजाद, कृष्ण की अनुपम गाथा
बनीं सारथी उच्च, सत्यभामा का माथा
कहते रवि कविराय, असत् हर युग में हारा
चतुर्दशी है धन्य, दिवस जब राक्षस मारा
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451