#मायका #
हां मुझे मायका बहुत याद आता है।
कर के सारा काम जब थक के चूर हो जाती हूं।।
सब कुछ करने के बाद,
जब किसी को खुश नही कर पाती हूं ।
हां तब मुझे मायका बहुत याद आता है।।
हां मुझे मायका बहुत याद आता है।
देर तक सोने वाली अब जल्दी उठ जाती है।।
अपने मन का करने वाली,
अब सबके मन का करती है।
सबकी बातें और सबके ताने ,अब चुप चाप सुन लेती हूं।।
सही होकर भी कई बार गलत ठहराई जाती हूं ।
हां तब मुझे मायका बहुत याद आता है।।
हां मुझे मायका बहुत याद आता है।
भाई कुछ मांगते उनसे मैं लड़ जाती थी।।
नौकर नही हूं अपनी बात पर अड़ जाती थी।।
अब देवर और जेठ को सब कुछ हांथ मैं पकड़ती हूं।।
बिन बोले ही सारे काम कर आती हूं।।
हां तब मुझे मायका बहुत याद आता है ।
हां मुझे मायका बहुत याद आता है।।
जरा सा बुखार आता मां घर सर पर उठा लेती थी।
बिटिया ने कुछ खाया नहीं यह बार बार कहती थी।।
कमजोर हो गई हो कुछ काम अब करना नही।
पापा से खाने का सारा सामान मंगा लेती थी।।
अब तो बीमारी मैं भी सारा काम कर आती हूं।
उसके बाद भी सबको कामचोर नजर आती हूं ।।
हां तब मुझे मायका बहुत याद आता है।
हां मुझे मायका बहुत याद आता है ।।
रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ