‘मान न मान मैं तेरा मेहमान ’ & ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’
‘मान न मान मैं तेरा मेहमान’ की तर्ज़ पर सलाह या कि उपदेश ठोंकना एक भारी बीमारी है!
और, ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ भी कोई यूँ ही नहीं कह गया है। ऐसे अनुभवों से तंग खाकर ही उसने यह उक्ति गढ़ी होगी और वह कालांतर में लोकोक्ति में तब्दील हो गयी होगी।
किसी समस्या को लेकर आप कोई fb पोस्ट लगाओ तो लोग वीरबालक बनते हुए स्थिति-परिस्थिति को समझे बिना फ़ेसबुक पर झट से नसीहत पेल देते हैं, जैसे, उसकी बुद्धिमानी के सहारे ही आप किसी की समस्या को समझने एवं मदद पहुंचाने में सक्षम होंगे!
बिना समझे बूझे नसीहत पेलने की आदत बेहूदगी है, शांत उद्दंडता है, नीरव बेवकूफ़ी है, प्रवचन और उपदेश करने की बीमारी में होना है।