!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
ख़ामोशी है चेहरे पर लेकिन
कुछ अजूबे गुण होते हैं इंसान में प्रकृति प्रदत्त,
छोटे गाँव का लड़का था मै और वो बड़े शहर वाली
जीवन का सफर नदी का सफर है
कितने हीं ज़ख्म हमें छिपाने होते हैं,
जो कभी थी नहीं वो शान लिए बैठे हैं।
मुश्किलों में उम्मीद यूँ मुस्कराती है
गीत- मुहब्बत की मगर इतना...
जिन बातों को सह गए,हम पाने को चैन
चिरैया पूछेंगी एक दिन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
अभिव्यक्ति के माध्यम - भाग 02 Desert Fellow Rakesh Yadav
मन में पल रहे सुन्दर विचारों को मूर्त्त रुप देने के पश्चात्
कैसे हो गया बेखबर तू , हमें छोड़कर जाने वाले
धीरे-धीरे हर चीज ह नदावत हे