मानसून अब आ जाओ
प्रिय मानसून अब आ जाओ
अब ना हमको और सताओ
बुरा हाल है गर्मी के मारे
किसान देख रहे रहे विचारे
फसलें सूख रही खेतों में
अब ना उनको और सताओ
प्रिय मानसून अब आ जाओ
दादुर मोर पपीहा प्यासा
सारा जग हो रहा रुहासा
सूख रहे हैं कुएं बावड़ी
आकर उनको भर जाओ
प्रिय मानसून अब आ जाओ
नदियां सूख रही हैं तुम बिन
जल जंगल उदास हैं तुम बिन
आकर उनको खुश कर जाओ
प्रिय मानसून अब आ जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी