मानव विकार
*********मानव विकार**********
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अहम वहम मनोरोग से मानव मन ग्रस्त
आत्मविश्वास हथियार से हो जाता पस्त
मानव मन मे अंदर पैदा करती है विकार
मानव मानवीय मूल्य का करती हैं संहार
अहम संज्ञान में ना हो सत्य की पहचान
आत्म स्तूति का सदैव करता है गुणगान
ज्ञानता अभाव मे निज पर करें अभिमान
बात बात पर कर देता ओरों का अपमान
क्रोध,मोह,लोभ में खुद का करता है अंत
अहम में मानव समझे स्व को बड़ा महंत
वहम भी मानवीय स्वभाव का है विकार
निज को सर्वोत्तम माने पर मत को नकार
संदेह में देह को समझता सर्वशक्तिशाली
दर्शाता है स्वयं को झूठा – मूठा बलशाली
बिन बात के मानव दिखाता है होशियारी
समझो वह पीड़ित है अहम वहम बीमारी
अहम वहम विकार का मात्र यही निदान
दुनियावी ढ़कोसलों से हो जाओ अंजान
सुखविंद्र कवि कहे ,कर दो त्याग विकार
आत्मविश्वास शस्त्र से कर विकार प्रहार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)