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3 Jun 2023 · 1 min read

मानव प्रजाति

मानव-प्रजाति बहुरंगी अदभुत,
स्वार्थ-सिद्धि हित अगणित चाल,
नित स्वयं ईश को भी छल जाता,
पर दिखलाता निज उन्नत भाल।

अन्य विभिन्न जीवधारी से भिन्न,
मानव महत्व का एकमात्र गुरू,
बुद्धि-विवेक और तर्कशक्ति शुचि,
बहुमूल्य विचार-श्रंखला की पूँजी।

सदभाव और सुविचार के बल पर,
सर्वश्रेष्ठ मनु सिद्ध अवनितल,
निष्काम कर्म तृष्णा-विहीन शुचि,
नियति शुभ चारु प्रदायक नित्य।

मानव की विचारशीलता में यदि,
नहीं विवेक, बुद्धि, तर्क सान्निध्य,
प्रवृत्ति पाशविक कुटिल चरित्र में,
करें अहर्निश वृद्धि प्रतिपल।

–मौलिक एवम स्वरचित–

अरुण कुमार कुलश्रेष्ठ
लखनऊ(उ०प्र०)

Language: Hindi
1 Like · 167 Views
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