मानव जीवन – संदेश
एक नन्हा शिशु जिसके लिये माता की
गोद ही स्वर्ग है ,
जिसके लिये उसके चारों ओर का
वातावरण ही निसर्ग है ,
धीरे-धीरे बड़ा होता है ,
अपने संसार से अवगत होता है ,
उसमें प्रेम ,क्रोध , लोभ , के बीज पनपते हैं ,
उसके प्रदत्त संस्कार उसे मोह- माया से दूर करते हैं ,
उसके स्वाभिमान एवं आत्मविश्वास से उसका
जीवन मार्ग प्रशस्त होता हैं ,
उसके संज्ञान एवं चिंतन से उसकी प्रज्ञाशक्ति का
विकास होता है ,
उसे जीवन- समर में निर्भीक योद्धा के समान संघर्ष की सूक्ति देता है ,
उसकी असफलता से उसे त्रुटि का संज्ञान एवं
उसका सतत् प्रयास प्रेरित होता है ,
उसकी सफलता से उसका आत्मविश्वास सुदृढ हो
प्रेरणा शक्ति बनता है ,
उसका दर्शन उसमें परस्पर सद्भाव , कर्तव्यनिष्ठा , सत्यनिष्ठा , कर्मनिष्ठा , एवं मानव मात्र से
प्रेम का संचार करता है ,
इस प्रकार वह नन्हा सा शिशु बड़ा होकर संसार में
सार्थक मानव जीवन – संदेश बनता है।