मानव को जीना होगा
सुधा बीज बोने से पहले कालकूट पीना होगा
पहिन मौत का मुकुट विश्वहित मानव को जीना होगा
है रंगमंच यह विश्व धरा, अपना अभिनय करते हैं सब
अभिनय बस अभिनय जैसा हो न सकेगा सुन लो अब
फेंक मुखौटा अब नायक को निज चरित्र जीना होगा
सुधा बीज बोने से पहले कालकूट पीना होगा..!!
क्यूँ धरती न कांपे थर थर, क्यूँ गिरे न आफत आसमानी
हरा रंग कर दिया मुसलमां और हिन्दू हो गया जाफरानी
मानवता का फटा आवरण, मिल करके सीना होगा
सुधा बीज बोने से पहले कालकूट पीना होगा..!!
मंदिर मस्ज़िद जगह बनेंगीं, केवल पाक इबादत की
उस दिन सारी क़ायनात में , हवा चलेगी चाहत की
काशी में ख्वाज़ा बैठेंगे , तीरथराज मदीना होगा
सुधा बीज बोने से पहले कालकूट पीना होगा..!!
पहिन मौत का मुकुट विश्वहित मानव को जीना होगा….!!!
. ✍️ हरवंश ‘हृदय’