मानवता
मत करना विश्वास कभी भी,चापलूस और गद्दारों पर।
हर व्यक्ति को चलना होता है,केवल अपने ही पैरों पर।।
भार कभी नहीं पड़ने देना ,अपनों का कभी गैरों पर।
साथ सभी के मिलकर चलना,फैलाना खुशियां सभी के चेहरों पर।।
जो रखता विश्वास है खुद पर,वह हार कभी नहीं पाता है।
लेकर चले जो साथ सभी का,वही तो जीत का बिगुल बजाता है।।
मेहनत करने वाला ही दुनिया में,कठिन से कठिन कार्य कर पाता है।
मुश्किलों का डट कर करे सामना,जग में सफल वही हो पाता है।।
अपने आत्मविश्वास के बल पर ही, हर जीत तुझे मिल जाती है।
जो जीत को हासिल करते हैं,उनकी दुनिया पतझड़ में भी खिल जाती है।।
करके पर उपकार जो उसको,दूजे पर कभी नहीं जतलाता है।
सच्ची मानवता की मिसाल,वही व्यक्ति कायम कर पाता है।।
कहे विजय बिजनौरी यह रिश्ता,मानवता का सबसे उत्तम पाया जाता है।
और मानवता का धर्म ही समाज में सबसे पावन धर्म बताया जाता है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।