Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Dec 2024 · 1 min read

“मानवता के दुश्मन”

“मानवता के दुश्मन”

जो समानता, स्वतंत्रता, बन्धुत्व और न्याय के मूल सिद्धान्तों के विरोधी होते हैं, वे ही मानवता के दुश्मन हैं।

2 Likes · 3 Comments · 23 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

जिसका ख़ून न खौला
जिसका ख़ून न खौला
Shekhar Chandra Mitra
आधुनिक दोहे
आधुनिक दोहे
Suryakant Dwivedi
अयोध्या धाम तुम्हारा तुमको पुकारे
अयोध्या धाम तुम्हारा तुमको पुकारे
Harminder Kaur
फौज
फौज
Maroof aalam
दोस्त मेरी दुनियां
दोस्त मेरी दुनियां
Dr. Rajeev Jain
बड़ी बहु को नौकर छोटी की प्रीत से
बड़ी बहु को नौकर छोटी की प्रीत से
नूरफातिमा खातून नूरी
गर मुहब्बत करते हो तो बस इतना जान लेना,
गर मुहब्बत करते हो तो बस इतना जान लेना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"पड़ाव"
Dr. Kishan tandon kranti
4695.*पूर्णिका*
4695.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेमेल शादी!
बेमेल शादी!
कविता झा ‘गीत’
*लू के भभूत*
*लू के भभूत*
Santosh kumar Miri
*ऐ जिंदगी*
*ऐ जिंदगी*
Vaishaligoel
प्रकृति की गोद खेल रहे हैं प्राणी
प्रकृति की गोद खेल रहे हैं प्राणी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
**हो गया हूँ दर-बदर, चाल बदली देख कर**
**हो गया हूँ दर-बदर, चाल बदली देख कर**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अकेलापन
अकेलापन
Rambali Mishra
बाल कविता: मछली
बाल कविता: मछली
Rajesh Kumar Arjun
जाति आज भी जिंदा है...
जाति आज भी जिंदा है...
आर एस आघात
शिकायत करें भी तो किससे करें हम ?
शिकायत करें भी तो किससे करें हम ?
Manju sagar
समय संवाद को लिखकर कभी बदला नहीं करता
समय संवाद को लिखकर कभी बदला नहीं करता
Shweta Soni
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*लव इज लाईफ*
*लव इज लाईफ*
Dushyant Kumar
-अपनो से हिचकिचाहट -
-अपनो से हिचकिचाहट -
bharat gehlot
*पत्थर तैरे सेतु बनाया (कुछ चौपाइयॉं)*
*पत्थर तैरे सेतु बनाया (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
हर्षित आभा रंगों में समेट कर, फ़ाल्गुन लो फिर आया है,
हर्षित आभा रंगों में समेट कर, फ़ाल्गुन लो फिर आया है,
Manisha Manjari
■ एक शाश्वत सच
■ एक शाश्वत सच
*प्रणय*
मेरा किरदार शहद और नीम दोनों के जैसा है
मेरा किरदार शहद और नीम दोनों के जैसा है
Rekha khichi
दिल की बात को जुबान पर लाने से डरते हैं
दिल की बात को जुबान पर लाने से डरते हैं
Jyoti Roshni
हमे अब कहा फिक्र जमाने की है
हमे अब कहा फिक्र जमाने की है
पूर्वार्थ
हम गुलामी मेरे रसूल की उम्र भर करेंगे।
हम गुलामी मेरे रसूल की उम्र भर करेंगे।
Phool gufran
तुम      चुप    रहो    तो  मैं  कुछ  बोलूँ
तुम चुप रहो तो मैं कुछ बोलूँ
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
Loading...