मानवता और जंग
हो सबके सपने पूरे है ये दुआ
लेकिन कभी उसकी तमन्ना पूरी होती नहीं
वो भी देखना चाहता है सपने
लेकिन भूखे पेट उसको नींद आती नहीं।।
है पैसा अरबों के हथियारों के लिए
उसकी दो वक्त की रोटी का ज़िक्र नहीं
है ये कैसी ताकत की अंधी लड़ाई
मासूमों के जीवन की कोई फिक्र नहीं।।
ज़रूरत है बहुत उनको सहायता की
लेकिन कोई सुध उनकी फिर भी लेता नहीं
काट रहे सड़कों पर सर्द रातें जो मासूम
लेकिन, कोई उनको कंबल भी देता नहीं।।
जाने है ये कैसी अंधी दौड़
अपने बच्चों की भी फिक्र करते नहीं
तुम चलाओगे विनाशक हथियार
तो सामने वाले भी चुप रहते नहीं।।
लड़ाई में हारती है मानवता हमेशा
हथियारों से लड़ाई कोई जीत पाया नहीं
आता है जो सुकूं मासूम चेहरे पर मुस्कान लाकर
उससे ज़्यादा सुकून किसी को आया नहीं।।
काश अब आ जाए भगवान खुद
बनाए दुनिया ऐसी जहां हथियार हो ही नहीं
खुशियां मिले हर इंसान को जग में
हो प्यार इतना, लड़ाई की कोई बात हो ही नहीं।।