मानकके छडी (लोकमैथिली कविता)
आन्हर भँ जे काज करैय,
एक भगहा बैन फतवा जारी करैय,
जनसरोकार सबालमे मृत्तप्राय: बनल रहैय
ओहेसभ ऐतह अभियन्ता कहबैय ।
जन-जनके फोडबाक जे काज करैय,
मौसमी उलेमा जारी करैय ,
सहोदराके भाषाके बोली कहैय,
ओहेसभ ऐतह अपनाके अगुवा कहबैय ।
लोकशैली जे पसंद नै करैय,
रग-रगमे जक्कर जातिबाद भरलय,
फरक मत रैखते जेकरा भक्कचोहनी लगैय,
ओहेसभ अभियानी कहबैय ।
करिया सोच जे सदखनि रखैय,
मानक शैलीके मात्र अपन बुझैय,
आनक शैलीमे खुर्लुच्ची बनैय,
ओहेसभ अमुक संस्थाके नामपर विज्ञप्ती जारी करैय ।
संकुचित घेरामे जे ओझरायल रहैय,
संसार ओहीके सदखैन मनैय,
अपन परिधी बाहरक लोकके शत्रु बुझैय
ओहेसभ अमुक भाषाके कथिक मुखिया बनैय ।
बौद्धिक अपराधमे जे खुब रमैय,
भाषिक दियादक सफलतामे जैल मरैय,
प्रतिस्पर्धी स्रष्टाके विरोधमे गरदमगोल करैय,
ओहेसभ अपनाके भाषिक मैञ्जन बुझैय ।
मानकके छडी सँ जे आनके डङ्गवैय,
छिकाछिकी,जोलहा,ठेठीके अपन नय मनैय
विपैतमे मात्र सभहक शैलीके अपन बुझैय,
ओहेसभ भावभंगिवा आ चोली बदैल प्रचाररतिमे डुबैय ।
#दिनेश_यादव
काठमाडौं (नेपाल)