मात भारती
मात भारती के लाल, ऊंचा जिनका हैं भाल
करें रण में कमाल , सिंह कहलाते हैं
तान कंधे पे बंदूक, लेके चले संदूक
करें सीमा पे न चूक, गाथा बन जाते हैं
जयहिंद का ये घोष, देता नया परिवेश
पाई खाकी गणवेश, सैनिक कहाते हैं
चौड़े कंधे फूली छाती, शौर्य की ये परिपाटी
देख गर्व करे माटी, शत्रु घबराते हैं