मात – पिता से सीख
🌹शीर्षक 🌹
मात – पिता से सीख
मात-पिता से बढ़कर जग में
दूजा नहिं भगवान।
सबक ले सीख निरा अज्ञान।।
अपने सांचे में है ढाला
बचपन पोसा पाला,
थोड़ा खाकर खूब रिझाकर
तुझको दिया निवाला।
पर संकट से बचा-बचाकर
सदा संभाला जान।
सबक ले सीख………….
करके प्यार दुलार सिखाने
कुछ भेजा स्कूल,
सत्पथ चलना छोड़ कुसंगति
करना कर्म कुबूल।
पढ़-लिखकर हे भविष्य! मेरे
बन जाना विद्वान।।
सबक ले सीख…………….
सही राह दिखलाने वाले
पहले मात-पिता होते,
गले लगाते अपने बच्चे
कभी न अपनापन खोते।
प्रथम गुरु हैं मानो वचन ये
मत बन तूं अनजान।।
सबक ले सीख………………
इक सुन्दर व्यवहार है जग में
मात-पिता से सीख,
इनके कदमों में गिर मांगो
हो संस्कार शरीक।
भ्रातृ-प्रेम व मातृ-प्रेम का
कर नित-नित गुणगान।।
सबक ले सीख……………….
वन-उपवन सा सुलभ है तेरा
सुखद व शुचि परिवार,
अग्रज-अनुज सुनीति सिखाए
जीवन का आधार।
“रागी” मत भूलो मां बाप को
सेवा मुक्ति महान।।
सबक ले सीख…………………
✍️ कवि ✍️
राधेश्याम रागी
कुशीनगर उत्तर प्रदेश
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