मातृ शक्ति
कर बंदे तू नारी का सम्मान।
रख बंधे तू जननी का मान।
मातृ का ही धरा जगत में ।
जीवन भी इन चरण रज में ।
जग जगदम्बा सम स्थान।।
कर बंदे तू नारी का सम्मान।।
नर भी है बिन नारी अधूरा।
होता नहीं परिवार भी पूरा।
वह है एक शक्ति स्वरूपा।
गृह भी होता देव अनुरुपा।
जहां होता नारी का मान।।
कर बंदे तू नारी का सम्मान।।
अबला नहीं वो लड़ी जंग भी।
विजय सदा रण दुर्गा संग भी।
काज नहीं तुम कमतर आंको।
छोड़ अहम फिर स्व में झाँको।
छोटा ही है तू जननी से जान।।
कर बंदे तू नारी का सम्मान।।
सत्यम शिवम जगत आधार ।
शक्ति से ही शिव सुंदर सार।
अर्धनारीश्वर रूप में है शंकर।
फिर भाव भेद क्यों नारी नर।
सदा रख तू मन उत्तम ज्ञान।।
कर बंदे तू नारी का सम्मान।।
(लेखक -डॉ शिव लहरी )