मातृ भूमि
मातृभूमि
अपनी मातृभूमि की संस्कृति
मित्रों विश्व में प्रख्यात है
सब धर्मो का मान यहाँ
देश -विदेश मे विख्यात है ।
सब त्योहारों को मना कर
खुशियाँ यहाँ मनाते है ।
ईद, दीवाली राखी,क्रिसमस
सब भाई चारा निभाते है ।
छोटे बड़ों का आदर करते
बुजुर्गों के पांव पड़ते है
छोंटों- बड़ों से प्रेम बढ़ा
अपने गले लगाते है ।
अपनी हो या पराई स्त्रियाँ
रिश्तों से उन्हें बुलाते है
करते है सम्मान उन्हीं का
आदर से शीश झुकाते है ।
जन्म से लेकर मरने तक
संस्कार सभी निभाते है
बधाईयाँ,मंगल, घोड़ी ,सुहाग
कारजों में मंगल गाते है ।
विवाह हो आ जन्मदिन, मुण्डन
सब रल -मिल खुशी मनाते है
स्त्री-पुरुष नाच -गा कर
गिद्धा खूव डलवाते हैं ।
माथे पर बिन्दिया, माँग सिंधूर
हाथों में मेहन्दी लगाती हैं
लम्बी उम्र तक शिंगारित रहती
सदा सुहागिन कहलाती है ।
ललिता कश्यप सायर डोभा
जिला बिलासपुर (हि0 प्र0)