मातृभूमि की रक्षा करने…..
सुना है मैंने जो कल तक नफरत फैला रहे थे,
वो आज अपने प्रोफाइल में तिरंगा लगा रहे हैं
लूटपाट कर लोगों को डराते फिरते हैं वर्षभर,
और आज वह खुद को देशभक्त बतला रहे हैं
स्वतंत्र हुआ भारत फिर भी हमले का डर रहता है,
चाहे जो हो सामना करने को सैनिक तत्पर रहता है
कैसे जाता है वो मां का लाल देश की सीमाओं पर,
त्योहारों में नहीं आता है क्या बीतती है माताओं पर
कई सेनानियों ने जेल में भी अपना समय बिताया था,
मगर देश आजाद करेंगे हम उन्होंने कसम ये खाया था,
भारत मां के गोद में पले सेनानियों का गर्म खून था,
भारत को हम आजाद करेंगे आजादी का जुनून था
किसकी मजाल जो खरीदे तिरंगा,अमूल्य है मूल्य तिरंगे का,
कितने गुमनाम हुए सेनानी यहां,अमूल्य है मूल्य तिरंगे का
मातृभूमि की रक्षा के लिए जो लड़े, कैसे भूलें “शिवा” हम,
जो लड़े डटकर जज्बा और साहस से कैसे भूलें यहां हम।
रचनाकार-अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी”©