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11 Jun 2023 · 1 min read

मातृभाषा हिन्दी

सारी भाषाएँ श्रृंगार माँ भारती का,

पर हिंदी माँ के माथे की बिंदी है।

सुदृढ़ करतीं सारी बोलियाँ, उपभाषाएँ,

पर हिंदी माँ के भाल पर शोभती है।

अपनाएँ मातृभाषा, करें मस्तक ऊँचा अपना,

आपसे माँ की यही विनती है।

एक दिवस का उत्सव मनाकर भूल न जाना

यह तो वष॔ भर प्राणों को सींचती है।

निज भाषा की उन्नति में ही अभिमान धरा,

स्वभाषा ही अपनों को अपनों की ओर खींचती है।

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