Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2024 · 1 min read

माता पिता

माता पिता

मा की सुर्खी बिंदी की चमक से लेकर
बच्चों के सर की छाव होते हैँ पिता ।

मा गर सार है ममता का
तो मातृत्वा का आधार हैं पिता ।

ढाल बन जाती हैँ दुआएँ मा की
तो हौसलों की तलवार बन जाते हैं पिता ।

बेशक़ होती है ताकत हर गुनाह को छुपाने की मा के आँचल में
देकर सज़ा ज़िंदगी का सबक सिखाते हैँ पिता ।

रसोई की अन्नपूर्णा मा
तो परिवार का सरताज होते हैँ पिता ।

सब्र की परिभाषा मा
तो स्वाभिमान की मूरत होते हैँ पिता ।

परिवार की शक्ति मा
तो उस शक्ति के शिव हैँ पिता ।

ईश्वर रचित इस नायाब दुनिया में
मेरे स्वर्ग से घर में भगवान की मूरत हैँ मा और पिता ।

– रुपाली भारद्वाज

Language: Hindi
1 Like · 87 Views
Books from Roopali Sharma
View all

You may also like these posts

तमाम बातें मेरी जो सुन के अगर ज़ियादा तू चुप रहेगा
तमाम बातें मेरी जो सुन के अगर ज़ियादा तू चुप रहेगा
Meenakshi Masoom
प्रेम कविता
प्रेम कविता
अंकित आजाद गुप्ता
हम ने तवज्जो नहीं दी
हम ने तवज्जो नहीं दी
Nitin Kulkarni
नौकरी
नौकरी
Aman Sinha
बस मुझे महसूस करे
बस मुझे महसूस करे
Pratibha Pandey
जीवन रश्मि
जीवन रश्मि
Neha
🙅एक क़यास🙅
🙅एक क़यास🙅
*प्रणय*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
जीवन में रस भरता है संगीत
जीवन में रस भरता है संगीत
Ritu Asooja
जंगल बियाबान में
जंगल बियाबान में
Baldev Chauhan
जब तक इंसान धार्मिक और पुराने रीति रिवाजों को तर्क के नजरिए
जब तक इंसान धार्मिक और पुराने रीति रिवाजों को तर्क के नजरिए
Rj Anand Prajapati
ढूँढ़   रहे   शमशान  यहाँ,   मृतदेह    पड़ा    भरपूर  मुरारी
ढूँढ़ रहे शमशान यहाँ, मृतदेह पड़ा भरपूर मुरारी
संजीव शुक्ल 'सचिन'
दिवाली
दिवाली
नूरफातिमा खातून नूरी
*कुकर्मी पुजारी*
*कुकर्मी पुजारी*
Dushyant Kumar
4378.*पूर्णिका*
4378.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम्हें मुझको रिझाना चाहिये था
तुम्हें मुझको रिझाना चाहिये था
अर्चना मुकेश मेहता
मन को दीपक की भांति शांत रखो,
मन को दीपक की भांति शांत रखो,
Anamika Tiwari 'annpurna '
"कैसे व्याख्या करूँ?"
Dr. Kishan tandon kranti
नाराज़गी मेरी
नाराज़गी मेरी
Dr fauzia Naseem shad
मां
मां
Uttirna Dhar
प्रतियोगिता के जमाने में ,
प्रतियोगिता के जमाने में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
*बुरी बात को बुरा कह सकें, इतना साहस भर दो (गीत)*
*बुरी बात को बुरा कह सकें, इतना साहस भर दो (गीत)*
Ravi Prakash
चुना था हमने जिसे देश के विकास खातिर
चुना था हमने जिसे देश के विकास खातिर
Manoj Mahato
राजनीति में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या मूर्खता है
राजनीति में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या मूर्खता है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
अजीब दौर का सच
अजीब दौर का सच
पूर्वार्थ
संगीत का भी अपना निराला अंदाज,
संगीत का भी अपना निराला अंदाज,
भगवती पारीक 'मनु'
राजू और माँ
राजू और माँ
SHAMA PARVEEN
सुकून में जिंदगी है मगर जिंदगी में सुकून कहां
सुकून में जिंदगी है मगर जिंदगी में सुकून कहां
डॉ. दीपक बवेजा
कैसी शिक्षा आज की,
कैसी शिक्षा आज की,
sushil sarna
स्वामी ब्रह्मानंद (स्वतंत्र भारत के पहले संत सांसद)
स्वामी ब्रह्मानंद (स्वतंत्र भारत के पहले संत सांसद)
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
Loading...