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20 Feb 2024 · 1 min read

माता पिता

माता पिता

मा की सुर्खी बिंदी की चमक से लेकर
बच्चों के सर की छाव होते हैँ पिता ।

मा गर सार है ममता का
तो मातृत्वा का आधार हैं पिता ।

ढाल बन जाती हैँ दुआएँ मा की
तो हौसलों की तलवार बन जाते हैं पिता ।

बेशक़ होती है ताकत हर गुनाह को छुपाने की मा के आँचल में
देकर सज़ा ज़िंदगी का सबक सिखाते हैँ पिता ।

रसोई की अन्नपूर्णा मा
तो परिवार का सरताज होते हैँ पिता ।

सब्र की परिभाषा मा
तो स्वाभिमान की मूरत होते हैँ पिता ।

परिवार की शक्ति मा
तो उस शक्ति के शिव हैँ पिता ।

ईश्वर रचित इस नायाब दुनिया में
मेरे स्वर्ग से घर में भगवान की मूरत हैँ मा और पिता ।

– रुपाली भारद्वाज

Language: Hindi
1 Like · 70 Views
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