माता पिता का सहारा बनो ..
चार पैसे क्या कमा लिए ,
रुतबा इतना ऊंचा हो गया !
घर में माता पिता का दखल ,
नागवार ,नापसंद हो गया ।
दो पीढ़ियों के वैचारिक भेद ,
के बहाने घर अलग बसा लिया ।
उनके सारे त्याग ,प्रेम ,देखभाल ,
बलिदान को एक क्षण में भुला दिया ।
वोह वृद्ध जन अकेले जिए ,बीमार पड़े ,
फिर मर जाएं इनकी बला से ।
इन्होंने अपने सुख के खातिर ,
माता पिता को ही भुला दिया ।
यह भी न सोचा की इनपर भी कभी ,
यह बुरा समय आएगा ।
जब इनकी संतान से भी इनको ,
ऐसे ही तिरस्कार मिलेगा ।
कैसे स्वयं खुश रह सकेंगी वोह ,
गैर जिम्मेदार और स्वार्थी ,निर्मोही संतानें,
जिन्होंने सदा अपने ईश्वर तुल्य ,
माता पिता को घोर दुख दिया ।