Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Feb 2024 · 1 min read

‘माटी मेरे गाँव की’

गोदी में जिसकी खेली पली बढ़ी,
उछली कूदी लिखी पढ़ी।
खेतों और खलिहानों में,
पगडंडी पर पतली खूब चढ़ी।
सोधी सुगंध बसी मन जिसकी
वो है माटी मेरे गाँव की।।

माँ से छुप-छुप खूब है खाई,
गूध-गूँध चित्रकला बनाई।
केला,आम,सेब और संतरा,
बना-बना कर धूप लगाई।
घर की दीवार बनी है जिससे,
वो है माटी मेरे गाँव की।।

बचपन में मिलजुल कंचे खेले,
कब्ड्डी पर जहाँ लगते थे मेले।
खो-खो पर होती भागमभाग,
पिट्ठू मार के वार भी झेले।
जहाँ कभी नहीं रहेअकेले,
वो है माटी मेरे गाँव की।।

जामुन आम की हर इक डाली,
कर देते थे मिलकर खाली।
छक-छकके खूब थे खाते,
चिल्लाते थे हम पर माली।
उंगली से जिस पर लिखते नाम
वो है माटी मेरे गाँव की।।

-गोदाम्बरी नेगी

Language: Hindi
119 Views
Books from Godambari Negi
View all

You may also like these posts

समाप्त हो गई परीक्षा
समाप्त हो गई परीक्षा
Vansh Agarwal
National YOUTH Day
National YOUTH Day
Tushar Jagawat
तुम्हारे ही ख्यालों में हम भीगते हैं ।
तुम्हारे ही ख्यालों में हम भीगते हैं ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
अदरक वाला स्वाद
अदरक वाला स्वाद
गुमनाम 'बाबा'
■ सुरीला संस्मरण
■ सुरीला संस्मरण
*प्रणय*
सात समंदर पार
सात समंदर पार
Kanchan Advaita
वक्त
वक्त
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
**गैरों के दिल में भी थोड़ा प्यार देना**
**गैरों के दिल में भी थोड़ा प्यार देना**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
2535.पूर्णिका
2535.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
अमृत वचन
अमृत वचन
Dinesh Kumar Gangwar
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
डॉ. दीपक बवेजा
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"बातों से पहचान"
Yogendra Chaturwedi
*सर्दियों में एक टुकड़ा, धूप कैसे खाइए (हिंदी गजल)*
*सर्दियों में एक टुकड़ा, धूप कैसे खाइए (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
क्या अजीब बात है
क्या अजीब बात है
Atul "Krishn"
“दोहरी सोच समाज की ,
“दोहरी सोच समाज की ,
Neeraj kumar Soni
"वो पूछता है"
Dr. Kishan tandon kranti
बादलों को आज आने दीजिए।
बादलों को आज आने दीजिए।
surenderpal vaidya
मुक्तक __
मुक्तक __
Neelofar Khan
अपना गांव
अपना गांव
अनिल "आदर्श"
ज्योतिर्मय
ज्योतिर्मय
Pratibha Pandey
ज़िन्दगी जीने की जद्दोजहद में
ज़िन्दगी जीने की जद्दोजहद में
लक्ष्मी सिंह
आइना भी अब
आइना भी अब
Chitra Bisht
" गाड़ी चल पड़ी उसी रफ्तार से "
DrLakshman Jha Parimal
बुक रीडिंग
बुक रीडिंग
पूर्वार्थ
The Breath
The Breath
Otteri Selvakumar
इस राष्ट्र की तस्वीर, ऐसी हम बनायें
इस राष्ट्र की तस्वीर, ऐसी हम बनायें
gurudeenverma198
चल‌ मनवा चलें....!!!
चल‌ मनवा चलें....!!!
Kanchan Khanna
शब्दों के तीर
शब्दों के तीर
Meera Thakur
अटरू ली धनुष लीला
अटरू ली धनुष लीला
मधुसूदन गौतम
Loading...