*माखन चोर बड़ा श्यामा साँवरिया*
माखन चोर बड़ा श्यामा साँवरिया
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माखन चोर बड़ा श्यामा साँवरिया,
मन मोहक बड़ा श्यामा साँवरिया।
बांके मोहन की छवि बड़ी प्यारी,
तन – मन में बसी है सूरत दुलारी,
चित चोर है बड़ा श्यामा साँवरिया।
माखन चोर बड़ा श्यामा साँवरिया।
कान्हाँ के संग राधा सजकर खड़ी,
चुनरी राधा की प्रेम रंग में रंगी,
उर में प्यार बड़ा श्यामा साँवरिया।
माखन चोर बड़ा श्यामा साँवरिया।
यमुना किनारे कान्हाँ बंसी बजाए,
सुध सुध खो राधा दौड़ती आए,
आकर द्वार खड़ा श्यामा साँवरिया।
माखन चोर बड़ा श्यामा साँवरिया।
कदंब की डाली बैठा झूला झूलाए,
झूला झूलती राधा खुद से शरमाए,
पूरा उन्माद भरा श्यामा साँवरिया।
माखन चोर बड़ा श्यामा साँवरिया।
मनसीरत खड़ा राधा कृष्ण बिसारे,
मन मंदिर बसी प्यारी सूरत निहारे,
छाया कैसा नशा श्यामा साँवरिया।
माखन चोर बड़ा श्यामा साँवरिया।
माखन चोर बड़ा श्यामा साँवरिया।
मन मोहक् बड़ा श्यामा साँवरिया।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)