माखन की मटकी
माखन की मटकी स्वयं, फोड़ रहे गोपाल
लीलाधर लीला करे, बनकर नटखट बाल
बनकर नटखट बाल, रचे लीलाएं न्यारी
द्वार खड़ी रह देख , मातु होती बलिहारी
‘कान्हा’ हुआ निहाल , चित्र पर लोचन अटकी
फोड़ रहे यदुनाथ, आज माखन की मटकी ।
माखन की मटकी स्वयं, फोड़ रहे गोपाल
लीलाधर लीला करे, बनकर नटखट बाल
बनकर नटखट बाल, रचे लीलाएं न्यारी
द्वार खड़ी रह देख , मातु होती बलिहारी
‘कान्हा’ हुआ निहाल , चित्र पर लोचन अटकी
फोड़ रहे यदुनाथ, आज माखन की मटकी ।