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15 Jun 2021 · 1 min read

माखन की मटकी

माखन की मटकी स्वयं, फोड़ रहे गोपाल
लीलाधर लीला करे, बनकर नटखट बाल
बनकर नटखट बाल, रचे लीलाएं न्यारी
द्वार खड़ी रह देख , मातु होती बलिहारी
‘कान्हा’ हुआ निहाल , चित्र पर लोचन अटकी
फोड़ रहे यदुनाथ, आज माखन की मटकी ।

2 Likes · 1 Comment · 773 Views
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